Makkhan Grass : मक्खन घास
दुधारू पशु को
खिलाइये
यह
घास
, 20 से
25 प्रतिशत
बढ़
जायेगा
दूध
उत्पादन
|
उत्तर भारत में
लगभग सभी किसान
हरे चारे के
रूप में बरसीम
खिलते है , लेकिन
अगर किसान हरे
चारे के रूप
में बरसीम की
जगह मक्खन घास
खिलाएंगे तो ज्यादा
दूध उत्पादन होगा
और इससे किसानो
की आमदनी भी
बढ़ेगी |बरसीम में कई
तरह के कीट
लगते है जबकि
माखन घास में
किसी प्रकार का
कोई कीट भी
नहीं लगता हे
एवं इसमें बरसीम
के मुकाबले 15 प्रतिशत
ज्यादा प्रोटीन होता है
|
कब करें मक्खन
घास
की
बुआई
मक्खन घास सर्दियों
का चारा है अतः
यह अक्टूबर से
दिसंबर के बीच
में बोया जाता
है और लगभग
40 दिन में इसकी
पहली कटाई मिल
जाती है और
दूसरी पहली के
25 दिन बाद इस
तरह यह 5 से
6 कटाई दे देता
है | यह लगभग
एक किलो प्रति
हेक्टेयर के हिसाब
से बोया जाता
है आप इसका
बीज किसी भी
दूकान से मक्खन
घास के नाम
से खरीद सकते
है |
| Makkhan Grass |
पंजाब और हरियाणा
के
किसानो
को
भा
रहा
है
मक्खन
घास
लगभग चार साल
पहले पंजाब में
इस घास की
सुरुवात हुई थी
और आज दोनों
राज्यों में इसकी
बहुत मांग है
लगभग 200 मीट्रिक टन बीज
केवल इन दोनों
राज्यों में लगता
है क्योंकि यह
घास पशु की
सेहत को बहुत
अच्छा कर देता
है इसका बीज
लगभग 400 रुपय किल्लो
मिल जाता है
|
कैसे करें बुवाई
इसकी खेती सभी
तरह की मिटटी
में की जा
सकती है हलाकि
यह सर्दियों का
घास है लेकिन
इसे गर्मियों के
लिए भी मार्च
से अप्रैल के
बीच बोया जा
सकता है इसके
लिए मिटटी की
PH 6.5 से 7 के बीच
होनी चाहिए | बुवाई
के समय खेत
में नमी रेहनी
चाहिए आप चाहे
तो इसे बरसीम
के साथ भी
मिला के बो
सकते है इसके
बीज हलके होते
है तो 10 से 12 दिन में
अंकुरण सुरु हो
जाता है अंकुरण
के दो सप्ताह
बाद पहली सिचाई
और फिर जरूरत
के हिसाब से
हर 20 दिन में
सिचाई कर सकते
है |

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